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ज्योतिष” भाग्य नहीं बदलता बल्कि कर्म पथ बताता है, और सही कर्म से भाग्य को बदला जा सकता है इसमें कोई संदेह नहीं है।

 गणेश चतुर्थी 2023: सही तिथि, मुहूर्त और पूजन विधि

गणेश चतुर्थी पर्व भाद्रपद माह में, शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि पर देश भर में बड़े उत्साह और उमंग के साथ मनाया जाता है।

गणेश चतुर्थी ज्ञान ,समृद्धि और नई शुरुआत के देवता भगवान गणेश को समर्पित है।

इस वर्ष 19 सितंबर 2023 मंगलवार के दिन गणेश चतुर्थी का पर्व मनाया जाएगा। चतुर्थी तिथि का आरंभ 18 सितंबर को दोपहर 12:39 बजे से प्रारंभ होकर 19 सितंबर दोपहर 01:43 बजे तक है।

भाद्रपद शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि से 10 दिनों तक चलने वाला गणपति उत्सव अनंत चतुर्दशी तक चलता है।

गणेश जी की काल्पनिक कुंडली

शायद गणेश जी का जन्म हुआ तब इस तरह की  ग्रह स्तिथि रही होगी।गणेश जी के गुणो, उनके व्यवहार और परिस्थितियों को ध्यान में रखकर हमने कुछ कल्पना की है। कि

🌷 वृश्चिक लग्न और लग्न में केतु और लगन पर सुख भाव से शनि की राहु की और बृहस्पति की दृष्टि शनि और राहु और केतु के संयोजन से जन्म लेते ही उनका सिर काटा और बृहस्पति की दृष्टि में उन्हें बचाया।

🌷 उच्च का बुध लाभ भाव में और चंद्रमा के साथ स्थित होने से यह बेहद ही समझदार बने। उनमे अतुलनीय बुद्धि का गुण आया और अपनी बुद्धि से लाभ भी ले पाए।

🌷 लग्नेश मंगल पराक्रम भाव में इनको अत्यंत तेजस्वी और पराक्रमी बनता है।

🌷 कर्म भाव में स्वराशि का सूर्य इनको बड़े लोगों से मेलजोल करने , बड़े लोगों के साथ काम करने का गुण सीखाता है।

🌷 सप्तम भाव में राहु की स्थिति और राहु का स्थित होना , अपनी ही राशि में , 12 भाव में जाना;इनकी दो पत्नी होने की और इशारा करता है।

यह एक कल्पना मात्र है जो उस समय की ग्रह स्थिति की और इशारा कर रहा है।

गणेश चतुर्थी पर गणेश जी का पूजन

गणेश चतुर्थी वाले दिन भद्रा सुबह से ही लग जाएगी सुबह लगभग 6 मिनट से और दोपहर के 1:45 तक भद्रा का साया रहेगा। वैसे भद्रा का  वास पाताल लोक में है, इसीलिए इसका दुष्प्रभाव पृथ्वी लोक पर नहीं माना जाएगा।

गणपति जी की पूजा का शुभ मुहूर्त सुबह 11:01 से शुरू हो रहा है और जो की दोपहर 1:28 तक शुभ मुहूर्त रहेगा इसी बीच में आप भगवान की पूजा करें।

पूजा विधि

आप ज़रूरत का सारा सामान जैसे कि-

 🌷भगवान जी को बिठाने के लिए एक चौकी

🌷पीला कपड़ा

🌷 गंगाजल

🌷 वस्त्र

🌷फूल माला

🌷 जनेउ

🌷अक्षत

🌷हल्दी

🌷पान का पत्ता

🌷 सुपारी

🌷 चंदन

🌷 धूप दीप

🌷 नारियल

🌷 दुर्वा

🌷 मोदक या  लड्डू

उपरोक्त सभी सामान आप पूजा की थाली में सजा लीजिए।

अपने घर में स्थित भगवान गणेश जी की मूर्ति या आप नई मूर्ति घर में लाना चाहते हैं तो आज के दिन ले,  उसको गंगाजल से अभिषेक करके,  एक साफ चौकी पर  पीले रंग का कपड़ा बिछा कर उसे पर बिठाऐ। उसके बाद हल्दी का तिलक, चावल, चंदन, धूप, दीप, पान का पत्ता, सुपारी आदि से भगवान की पूजा करें , उन्हें दूर्वा घास की माला बनाकर चढ़ाएं और भोग स्वरूप मोदक या लड्डू खिलाए ,उसके बाद सबसे जरूरी है

गणेश मंत्र का जाप आधी घड़ी अर्थात कम से कम 12 मिनट तक गणेश मंत्र “ओम  गण  गणपतये नमः” मंत्र का जाप करें।

इस मंत्र के जाप के बाद आप गणेश चतुर्थी व्रत की कथा और आरती करें।🙏🏻🙏🏻 उत्तर भारत में रहने वाले सभी परिवार गणेश जी भगवान की पूजा करें और उसे अनंत चतुर्दशी के दिन के बाद  अपने घर के मंदिर में ही रखें। (विसर्जन ना करें)। दक्षिण भारत में स्थित सभी परिवार विसर्जन कर सकते हैं !इसके पीछे छुपी हुई रहस्य को जानने के लिए पड़े हमारा अगला आर्टिकल |

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