ग्रहों का गोचर
श्री गरुड़ज्योतिष के अनुसार ग्रहों की चाल अंतरिक्ष में हर समय चलायमान रहती है। गृह हर पल अपने निश्चित स्थान पर गोचर करते रहते हैं।
फिर भविष्यवाणियों के सफल होने का, और न सफल होने का भी कोई ना कोई खास कारण जरूर होगा ? समझते हैं वह क्या है।
होरा गणना
प्रत्येक प्राण, प्रत्येक प्रहर के अनुसार सभी ग्रहों का उदय और अस्त होता है (3 घंटे का यम, 8 ऐसे प्रहर एक अहोरात्र या दिन बनाते हैं)।
एक विशेष ग्रह प्रत्येक अहोरात्र पर चक्रीय क्रम में उदय होता है और दो प्रहर (प्रत्येक दिन 6 घंटे) पर शासन करता है।
यह ग्रह दिन का स्वामी है और दिन का स्वामी भी है और इसलिए दिन के स्वामी होने का कारण भी है।
उदाहरण के लिए यदि आज बुधवार है तो बुध पहले दो प्रहर पर शासन करेगा और शरीर के अंदर उदय होगा। सभी ग्रह प्रहर के आधे भाग में चक्रीय क्रम में विशेष राशियों में भ्रमण करते हैं। (यह यद् पिण्डे तद् ब्रह्माण्डे है)
यह दिव्य कुण्डली है. जब कोई व्यक्ति प्रश्न लेकर आता है तो एक विशेष ग्रह एक विशेष राशि में अर्ध्यम का स्वामी होगा और सभी ग्रह विशेष राशियों में तैनात होंगे।
ये ग्रह व्यक्ति के बारे में सब कुछ पहले से बता देते हैं। इसलिए सतही भौतिक स्तर के आधार पर की गई ज्योतिषीय भविष्यवाणियां लाभकारी नहीं होती हैं।
ज्योतिष के लिए आध्यात्मिक और पारलौकिक ज्ञान की आवश्यकता होती है जिसके बिना भविष्यवाणियाँ सफल नहीं होती हैं।
याद रखें कि सभी उपग्रह भी एक निश्चित तरीके से शरीर के अंदर गति करते हैं।
जब कोई ग्रह मुख्य ग्रह को अवरुद्ध कर रहा हो और जब कोई ग्रह गलत स्थिति में हो तो यह व्यक्ति के जीवन में अदृश्य बाधाओं का संकेत देता है।
99.99% बार ये रुकावटें होती हैं। ये रुकावटें केवल व्यक्ति के कर्मफल हैं और इन रुकावटों को दूर किए बिना चाहे कुछ भी हो, भविष्यवाणियाँ विफल होती रहती हैं।
जो लोग केवल भविष्यवाणियाँ खोजते हैं वे नहीं जानते कि भविष्यवाणियाँ तब तक काम नहीं करतीं जब तक कि ये बाधाएँ दूर न हो जाएँ।
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