Dr Shafali Garg

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ज्योतिष” भाग्य नहीं बदलता बल्कि कर्म पथ बताता है, और सही कर्म से भाग्य को बदला जा सकता है इसमें कोई संदेह नहीं है।

पितृपक्ष 2023 : क्यों है महत्वपूर्ण?

पितृ पक्ष आ गया है और हम सभी में से जिनके भी जन्मपत्री में पितृ दोष हो उन सभी के लिए यह जानकारी बहुत महत्वपूर्ण है।
हमारे माता-पिता हमारे सुख समृद्धि के लिए बहुत कोशिश है , हर पर्यतन करते हैं। इसीलिए यदि हम अपने माता-पिता को किसी प्रकार के ऋण से मुक्त होने में मदद ना कर सके तो हमारा जन्म लेना भी निरर्थक हो जाता है।
पितृ दोष एक जातक की कुंडली में उसके पिता या माता पक्ष की ओर से आता है । इसीलिए पितृपक्ष के दौरान भक्ति पूर्वक तर्पण और पितरों को जल देना चाहिए।
यदि आपको ज्योतिष का ज्ञान नहीं है तो कुछ दैनिक व्यवहार से आप समझ सकते हैं ,कि आपके यहां पितृ दोष है। जैसे आपके घर में स्क्रीन की समस्या ठीक ही नहीं हो रही है , या बच्चे होने में कोई समस्या आ रही है , आपके काम नहीं बनते , या बनते बनते बिगड़ जाते हैं , बुजुर्गों के बोल सूहाते नहीं है , घर में लड़ाई झगड़ा रहता है, तो यह कहीं ना कहीं पितृ दोष के लक्षण है।
पितृपक्ष के यह दिन पुण्य कमाने के दिन नहीं है, बल्कि कुछ विसर्जित करने के दिन है। जो भी काम पहले हुए हैं जिनकी माफ़ी नहीं मिली है ,उनके माफी मांगने के दिन है।
आज आधुनिक विज्ञान भी हमारे डीएनए में संरक्षित पुरानी यादों की पुष्टि करता है। और यदि हम भारतीय आचार्यों द्वारा बनाई गई पद्धति को अपनाते हैं तो अपने डीएनए से पुरानी यादों से मुक्ति पा सकते हैं।
🌷पितृपक्ष के इन दिनों में हमें पितरों को भोजन देना चाहिए।
🌷गरीबों को भोजन कराना चाहिए।
🌷 ब्राह्मणों को भोजन करना चाहिए।
🌷 प्रकृति की सेवा करनी चाहिए।
🌷 खास तरह के मंत्रों और क्रियाओ द्वारा प्रायश्चित करना चाहिए ।
🌷जाने अनजाने बचे हुए हिसाब का चुकता करना ही इन 15 दिनों में संभव है।
क्योंकि आप इन 15 दिनों में जो भी दान करेंगे उसका कई गुना बेहतर फल आप अपने जीवन में महसूस करेंगे।
भारतीय परंपरा भी इस विषय में यही मत रखती है कि इस समय देवलोक से आपके पितृ ,पृथ्वी -लोक पर आते हैं और फिर जब हमारी आत्मा नई चेतना ,नई ज्ञान , नई शक्ति या नई ऊर्जा या इस ब्रह्मांड की सुंदर ऊर्जा से जुड़ेगी तो पुराने संस्कार खत्म करके नए और अच्छे संस्कारों की तरफ जीवन बढ़ेगा।
पितृपक्ष के तुरंत बाद आने वाले 9 दिन एक तरह से आपका नया जन्म है। यह मातृ दिवस है । जैसे एक बच्चे का जन्म होता है तो नई चेतना और नई ऊर्जा उस बच्चे में होती है। ठीक इसी प्रकार पितृपक्ष के तुरंत बाद नवरात्रों के 9 दिन होते हैं और हमारे ग्रह भी 9 होते हैं । एक-एक दिन में आप एक-एक ग्रह से जबरदस्त ऊर्जा पा सकते हैं । दूसरे शब्दों में हम समझे तो 15 दिन तक पुराने हिसाब किताब चुकता करने के बाद , देवता- ग्रह और मातृशक्ति आपकी बात को सुनती है या कह सकते हैं कि आपका भाग्य को दोबारा लिखती है या एक नई दिशा देती है।

आने वाले नवरात्रों के नौ दिनों में आप अपनी कुलदेवी से जुड़कर और पूरे ब्रह्मांड की आदि शक्ति से ऊर्जा प्राप्त करेंगे नया जीवन प्राप्त करेंगे।

जिनकी मृत्यु तिथि का ज्ञान ना हो उनका श्राद्ध अमावस्या को करना चाहिए ।
श्राद्ध हमेशा मृत्यु होने वाले दिन करना चाहिए ।
अश्विन पक्ष कृष्ण पक्ष में सनातन संस्कृति को मानने वाले सभी लोगों को प्रतिदिन अपने पूर्वजों को श्रद्धा भाव से स्मरण करना चाहिए ।
इससे पितृ संतृप्ति होकर हमें आशीर्वाद देते हैं।
कृष्ण पक्ष पितरों के लिए पर्व का समय है इसमें यह पिंडदान और तिलांजलि की आशा लेकर पृथ्वी लोक पर आते हैं।
हर किसी के पितृ होते हैं, और सबके पितृ इन 15 दिनों में बहुत बड़ी आशा लेकर के इस धरती पर आते हैं और हर किसी व्यक्ति को अपने पितरों के निवृति दान धर्म जरूर करना चाहिए क्योंकि इन्हीं पितरों से हमें आस औलाद हमारा सुख-दुख सबकुछ हमें इन्हीं से मिला है।

इसलिए पितृपक्ष में अपने पितरों का श्राद्ध करके उनको संतुष्ट जरूर करें।

गणेश जी महाराज की कृपा से हम सभी अपने अपने पितृ देवता का सही से मान- सम्मान और पूजन करें ,और उनका आशीर्वाद पाए । इन्हीं शुभकामनाओं के साथ आभार।🙏🏻
डॉ शैफाली गर्ग

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