अमावास्या तु सोमेन सप्तमी भानुना सह।
चतुर्थी भूमिपुत्रेण सोमपुत्रेण चाष्टमी।।
चतस्रस्तिथयो स्त्वेताः सूर्यग्रहण सन्निभाः।
स्नानं दानं तथा श्राद्धं सर्वं तत्राक्षयं भवेत्।।
सोमवारी अमावस्या, रविवारी सप्तमी, मंगलवारी चतुर्थी एवं बुधवारी अष्टमी तिथीयां सूर्यग्रहण के समान फल देने वाली कही गयी हैं।
इन तिथियों में किया गया स्नान, दान, जप, तर्पण/श्राद्ध आदि अनंत फलदायी कहा गया है।
इस दिन पवित्र नदियों और सरोवरों में स्नान करना विशेष शुभ कहा गया है।
अमावास्या तु सोमेन सप्तमी भानुना सह ।
चतुर्थी भूमिपुत्रेण बुधवारेण चाष्टमी ॥
चतस्रस्तिथयः पुण्यास्तुल्याः स्युर्ग्रहणादिभिः।
सर्वमक्षयमत्रोक्तं स्नानदानजपादिकम् ॥
“वीरमित्रोदय समयप्रकाश”
वीरमित्रोदय समय प्रकाश के अनुसार सोमवार की अमावस्या, रविवार की सप्तमी, मङ्गलवार की चतुर्थी व बुधवार की अष्टमी तिथियां, ग्रहण काल के समान पुण्यदायी मानी गई है।
इस दिन किये गए पुण्य कर्म नदी स्नान, दान, जपादि अक्षय फल प्रदान करता है।
शास्त्रकारों का निर्णय है कि यह दिन ग्रहण काल के समान होता है।
बुधाष्टमी के दिन किये अनुष्ठान, पवित्र नदी स्नान, दान, तर्पण व जपादि पुण्य कर्म अक्षय फल प्रदान करता है।
●अगर कोई मंत्र जपादि शुरू करना चाहते हैं तो कल से शुरू कर सकते हैं।
●नियमित जप व स्तोत्रादि पाठों का अधिकाधिक जप व विशेष अर्चन कर सकते हैं
●ग्रह शान्ति के निमित्त बताए गए उपाय व मंत्रजप को अधिक से अधिक संख्या मे कर लाभ ले सकते हैं।
●गंभीर रोग के निदान के लिए विषेश उपाय/दान आदि कर सकते हैं।
●इस बुधाष्टमी मे आप सुख समृद्धि और धन लाभ के लिए माता महालक्ष्मी ,बच्चों को पढ़ाई में सफलता व मन लगाने के लिए माता सरस्वती के अर्चन/प्रयोग भी कर सकते हैं।
शत्रुओं से रक्षा के लिए भगवती महाकाली का अर्चन भी कर सकते हैं।
●कुछ समझ न आये तो ग्रह बाधा निवारण के लिए क्रूर व कुंडली मे बाधक ग्रहों के कारक सामग्री से शिवलिंग का अभिषेक कर दीजिए।
वार और तिथि का संयोग इसे अत्यंत महत्व पूर्ण और प्रभावशाली बना देता है इन तिथियों पर किये गए उपाय लाभ अवश्य देते देखे गए हैं।
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