5626 BCE मे द्वापर युग में भाद्रपद माह की (कृष्ण पक्ष की )अष्टमी को मध्य रात्रि श्री हरि विष्णु ने श्री कृष्ण के रूप में आठवां अवतार लिया था।
यह अवतार प्रभु ने संपूर्ण कलाओं के साथ लिया था और इसका प्रमाण है हमारा इतिहास। इस आर्टिकल में आपको जन्माष्टमी में श्री कृष्ण की पूजन की सही विधि, मुहूर्त और महत्व की जानकारी मिलेगी।
श्री कृष्ण
श्री कृष्ण ,वह एक ऐसे प्रेमी बनकर आए जिसे कोई नजर भर देख ले तो वह पूरी उम्र उसे याद करें, ऐसे राजनेता थे कि जिनकी तारीफ संपूर्ण भारत के बड़े से बड़े राजा करते थे। वह इतने चतुर थे कि किसी को भी अपनी बातों में ले लेते । कह सकते हैं कि वह स्वयं योगी थे- और भोगी भी थे। ऐसे योद्धा थे कि स्वयं भीष्म पितामह भी उनके आगे हाथ जोड़कर खड़े हो गए। ऐसा शिष्य का रूप था कि उनके गुरु को कभी भी मुंह से बोलना नहीं पड़ा वह अपने मन में जो सोचते थे श्री कृष्णा उनसे पहले ही वह चीज पूरी करते थे। ऐसे गुरु के रूप में संसार में आए की भगवद् गीता का ज्ञान सबको दिया। आज भी भागवत गीता में हमारे हर समस्या का समाधान है।
श्री कृष्ण की जन्म कुंडली
श्री कृष्ण का जन्म भाद्रपद माह में कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को, रोहिणी नक्षत्र में महानिशिथ काल में वृषभ लग्न में हुआ था।
उस समय लग्न में चंद्रमा और केतु, चतुर्थ भाव में सूर्य, पंचम भाव में बुध , छठे भाव में शुक्र और शनि बैठे हैं। सप्तम भाव में राहु भाग्य स्थान में मंगल तथा लाभ स्थान में गुरु स्थित है कुंडली में राहु की स्थिति को यदि छोड़ दे तो सभी ग्रह अपनी उच्च की अवस्था में बैठे हुए हैं यह स्वयं बताते हैं की कितनी अदभुत कुंडली है
ऋषि गर्ग ने यशोदा मां के पुत्र का नाम कृष्ण रखा I
संस्कृत भाषा में कृष्ण का मतलब काला होता है और यह संस्कृत का शब्द है। यदि हम काले रंग की क्वालिटी देखें ,तो काला रंग अपने आप में ही खास है। वह अपने में सब रंगों को समा लेता है, और कुछ भी वापस नहीं भेजता इसीलिए वह रंग काला है। यही गुण श्री कृष्णा में था ।वह सबको साथ लेकर चलते थे किसी को भी उन्होंने अकेला नहीं छोड़ा।
कृष्ण का एक अर्थ होता है, “आकर्षित करना” वे जो हर एक को अपनी ओर आकर्षित कर ले ।जो संपूर्ण संसार के प्राण हैं वही है कृष्ण ।
आपने कभी भी श्री कृष्ण के किसी छवि को बैठे हुए नहीं देखा होगा। एक हाथ में बांसुरी लिए, वह खड़े हुए ही नजर आते हैं इसका एक संदेश यह भी है कि वह अपने भक्तों की मदद के लिए हमेशा तत्पर हैं।
कब है जन्माष्टमी ( janmashtmi 2023)
पंचांग के अनुसार इस साल भाद्रपद कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि 6 सितंबर दोपहर 3:37 से शुरू हो रही है। और अगले दिन यानी 7 सितंबर को शाम 4:14 पर खत्म होगी।
साथ ही 6 सितंबर को सुबह 9:21 पर रोहिणी नक्षत्र आरंभ होगा जो की 7 दिसंबर को 10:25 पर समाप्त हो जाएगा।
मान्यता के अनुसार श्री कृष्ण का जन्म रोहिणी नक्षत्र में हुआ था और रात्रि के समय हुआ था इसीलिए 6 सितंबर को ही श्री कृष्ण की जन्माष्टमी का त्योहार मनाना चाहिए इस दिन पूजा का शुभ मुहूर्त रात 11:47 से शुरू होकर 12:42 तक माना जाएगा।
और जन्माष्टमी का व्रत भी 6 सितंबर को बुधवार के दिन रखना चाहिए और व्रत का पारण 7 सितंबर की सुबह 6:02 पर या 7 सितंबर को ही शाम को 4:30 के बाद किया जा सकेगा।
शुभ योग पर कृष्ण जन्माष्टमी।
जन्मोत्सव मानाया जाएगा, 06 सितंबर के दिन कृष्ण जन्माष्टमी का व्रत रखा जाएगा और मध्य रात्रि कृष्ण जन्माष्टमी के दिन सर्वार्थ सिद्धि योग का निर्माण हो रहा है,
सर्वार्थसिद्धि योग ऐसा योग है, जिसमें यदि किसी कार्य का आरंभ किया जाए तो उससे विशेष लाभ मिलता है, जब कोई विशेष मुहूर्त नहीं मिलता तब इस योग के साथ में शुभ,लाभ,अमृत की चौघड़िया के समावेश में कार्य करने से सभी प्रकार के कार्यो में सफलता मिलती है।
यह योग बुधवार, सोमवार, शुक्रवार को हों तो वस्त्र, आभूषण जैसी वस्तुएं खरीदना चाहिए, इसीलिए इस साल सर्वार्थ सिद्धि योग बेहद शुभ रहेगा, आप किसी भी नए काम की शुरुआत कर सकते हैं, उसमें आपको विशेष लाभ की प्राप्ति होगी, इस योग में की गई पूजा-अर्चना का शुभ फल मिलता है।
आज चंद्रमा वृषभ राशि में होंगे, साथ ही रोहिणी नक्षत्र को चंद्रमा की पत्नी माना जाता है, ग्रहों की दशा से मानें तो इस दिन शुभ मुहूर्त है, कृष्ण आराधना करने से आपको मनोवांछित फल की प्राप्ति होगी।
पूजन विधि
जन्माष्टमी के दिन शुद्ध जल, दूध, दही , शहद और पंचामृत से बालकृष्ण की मूर्ति को स्नान कराया जाता है। इसके बाद उन्हें वस्त्र पहनाकर पालने में स्थापित करते हैं। श्री कृष्ण की आरती की जाती है ।भजन गाए जाते हैं ।इस दिन भोग में पंजीरी तैयार की जाती है। पूजा के पश्चात सभी में इसे बांटा जाता है। रात्रि में जागरण आयोजित किए जाते हैं। श्री कृष्ण की स्तुति की जाती है ।
यह दिन बहुत पवित्र दिन है। इस दिन की ऊर्जा का लाभ ज्यादा से ज्यादा मेडिटेशन के लिए उठाना चाहिए। श्री कृष्ण के गुणो को पढ़कर उन्हें अपने में जागृत करने की कोशिश करने में बिताना
लड्डू गोपाल को भोग लगाते समय इन बातों का ध्यान रखें।
🌷लड्डू गोपाल को पहला भोग सुबह उठते ही लगाए।सौम्य तरीके से ताली बजाते हुए लड्डू गोपाल को जगाएं और फिर उन्हें दूध का भोग लगे।
🌷दूसरा भोग लड्डू गोपाल को स्नान कराने के बाद लगाए । लड्डू गोपाल को स्नान करा कर, साफ कपड़े पहनाएं ।और उन्हें तिलक लगाए । इस दौरान भोग स्वरूप कृष्ण भगवान को आप माखन , मिश्री , लड्डू या फूल अर्पित कर सकते हैं।
🌷तीसरा भोग दोपहर के समय लगाए। ध्यान रखें कि इस दौरान खाने की कोई ठोस वस्तु लड्डू गोपाल को अर्पित की जाती है। इस बात का ध्यान रखें, कि लड्डू गोपाल को लगाए जाने वाले भोग में गलती से भी प्याज -लहसुन का इस्तेमाल ना हो।
🌷चौथा भोग शाम के समय लगाया जाता है इस दौरान आप लड्डू गोपाल को मेवे या फिर रात में जो भी भोजन, आपने घर पर बनाया हो उसका भोग लगा सकते हैं।
आज की पूजा में खीरे का बहुत ही महत्व है।
जन्म के समय जिस तरह बच्चों को गर्भनाल काटकर गर्भाशय से अलग किया जाता है ठीक उसी प्रकार जन्मोत्सव के समय खीरे की डंठल को काटकर कान्हा का जन्म कराने की परंपरा है। जन्माष्टमी पर खीरा काटने का मतलब है कि बाल गोपाल को मा देवकी के गर्भ से अलग करना।
जन्माष्टमी के दिन किए जाने वाले खास उपाय🌷
इस दिन की ऊर्जा को ध्यान में रखकर मैं कुछ सुंदर उपायबताने जा रही हूं। आज का दिन इतनी उत्तम योगों का दिन है, जब स्वयं ने परमात्मा इस धरती पर अवतार लिया।
✍🏻 कलह को दूर करने के लिए यह उपाय
यदि आपके घर में हमेशा क्लेश रहता है या क्लेश की स्थिति रहती है तो इस दिन संध्या के समय, आप घर की तुलसी के पास दीपक जलाएं और तुलसी मां की 21 परिक्रमा करें। परिक्रमा करते वक्त आप किसी भी रूप में माता का आशीर्वाद ले सकते हैं। ( अगर आप इस मंत्र का जाप करना चाहे तो “ओम नमो भगवते वासुदेवाय “का मंत्र जाप करें !इससे आपके घर में सुख शांति बनी रहेगी और जीवन में खुशहाली बनी रहेगी। तुलसी जी का पौधा घर में नहीं है, तो आप आधी घड़ी यानी 12 मिनट मंत्र का जाप घर के मंदिर के सामने बैठकर करे।
✍🏻 नौकरी में तरक्की के लिए आज के दिन यह उपाय करें।
जन्माष्टमी के दिन भगवान श्री कृष्ण की पूजा करने के बाद आप 11 कन्याओं को खीर खिलाएं और ऐसा लगातार आने वाले शुक्रवार तक करते रहे इससे आपको नौकरी और व्यापार में तरक्की मिल सकती हैं और धन भी आपकी ओर आकर्षित होगा।
✍🏻 आर्थिक स्थिति में सुधार के लिए यह उपाय करें।
जन्माष्टमी के दिन सुबह ब्रह्म मुहूर्त में स्नान करें । व्रत का संकल्प ले और राधा कृष्ण के मंदिर में जाकर, उन्हें पीले फूलों की माला चढ़ाएं। भक्ति भावना से उनके दर्शन करें ।आपको धन लाभ के योग जरूर बनेंगे ।आपकी आर्थिक समस्या दूर हो जाएगी ।अपनी क्षमता अनुसार किसी जरूरतमंद को उस दिन फल या कपड़े आप जरूर दान में दें।
श्री कृष्ण जन्माष्टमी का दिन आपके लिए शुभ रहे, मंगलमय रहे, इन्हीं शुभकामनाओं के साथ राधे राधे ।
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