आपके घर की किसी भी दिशा में वास्तु दोष हो तो इन मत्रों के जाप से सभी बधाएं छूमंतर हो जाएगी।
असल में यह समस्त दुनिया जो भी हम आंखों से देख सकते हैं वह सभी ऊर्जा का स्पंदन मात्र है , बस वास्तु भी इसी ऊर्जा के मेल को ध्यान में रखकर बनाया गया है, या कह सकते हैं कि आधुनिक रूप में यह एक तरह की सिविल इंजीनियरिंग है ।या यह पौराणिक समय का सटीक विज्ञान है जिसमें दिशाओं की ऊर्जा के हिसाब से घर में रहने और सामान रखने का सही तरीका इस्तेमाल किया जाता था।आजकल शायद ही कोई ऐसा घर हो जो वास्तु दोष से मुक्त हो। वास्तु दोष का प्रभाव कई बार देर से होता है तो कई बार इसका प्रभाव शीघ्र असर दिखने लगता है।
इसका कारण यह है कि सभी दिशाएं किसी न किसी ग्रह और देवताओं के प्रभाव में होते हैं। जब किसी मकान मालिक (जिसके नाम पर मकान हो) पर ग्रह विशेष की दशा चलती है तब जिस दिशा में वास्तु दोष होता है उस दिशा का अशुभ प्रभाव घर में रहने वाले व्यक्तियों पर दिखने लगता है।
आज आपको सभी दिशाओं के दोष को दूर करने का सबसे आसान तरीका बता रही हूँ। इन मंत्र जप के प्रभाव स्वरूप (फलस्वरूप) आप काफी हद तक अपने वस्तुदोषों से मुक्ति प्राप्त कर पायेंगें, ऐसा मेरा विश्वास है।
ध्यान रखें मन्त्र जाप में आस्था और विश्वास अति आवश्यक हैं। यदि आप सम्पूर्ण भक्ति भाव और एकाग्रचित्त होकर इन मंत्रो को जपेंगें तो निश्चित ही लाभ होगा।
देश- काल और मन्त्र साधक की साधना (इच्छा शक्ति) अनुसार परिणाम भिन्न भिन्न हो सकते हैं।
🌹 ईशान दिशा
North East-उत्तर पूर्व
उत्तर और पूर्व के बीच की दिशा जिसे हिंदी में ईशान को कहा जाता है।
इस दिशा के स्वामी बृहस्पति हैं। और देवता हैं भगवान शिव। इस दिशा के अशुभ प्रभाव को दूर करने के लिए नियमित गुरू मंत्र ‘ऊँ बृं बृहस्पतये नमः’ मंत्र का जप करें।
✍🏻 शिव पंचाक्षरी मंत्र “ऊँ नमः शिवाय” का 108 बार जप करना भी लाभप्रद होता है।
✍🏻 उस दिशा में आप भोलेनाथ की कोई तस्वीर भी लगा सकते हैं और सबसे महत्वपूर्ण है कि आप उस जगह पर एकदम सफाई रखें।
🌹 पूर्व दिशा-EAST DIRECTION
घर का पूर्व दिशा वास्तु दोष से पीड़ित है तो इसे दोष मुक्त करने के लिए प्रतिदिन सूर्य मंत्र ‘ऊँ ह्रां ह्रीं ह्रौं सः सूर्याय नमः’ का जप करें। सूर्य इस दिशा के स्वामी हैं। इस मंत्र के जप से सूर्य के शुभ प्रभावों में वृद्घि होती है। व्यक्ति मान-सम्मान एवं यश प्राप्त करता है।
✍🏻 इन्द्र पूर्व दिशा के देवता हैं। प्रतिदिन 108 बार इंद्र मंत्र ‘ऊँ इन्द्राय नमः’ का जप करना भी इस दिशा के दोष को दूर कर देता है।
✍🏻 पूर्व की दिशा में यदि संभव हो तो आप एक तुलसी जी का पौधा में रखें और रोजाना सुबह और शाम सफाई पानी और ज्योति से उनकी सेवा करें।
🌹 आग्नेय दिशा
South-east – दक्षिण पूर्व
दक्षिण और पूर्व दिशा के कोनों से बनने वाली दिशा जिसे आग्नेय कोण भी कहा जाता है।
इस दिशा के स्वामी ग्रह शुक्र और देवता अग्नि हैं। इस दिशा में वास्तु दोष होने पर शुक्र अथवा अग्नि के मंत्र का जप लाभप्रद होता है। शुक्र का मंत्र है ‘ऊँ शुं शुक्राय नमः’। अग्नि का मंत्र है ‘ऊँ अग्नेय नमः’।
✍🏻इस दिशा को दोष से मुक्त रखने के लिए इस दिशा में पानी का टैंक, नल, शौचालय अथवा अध्ययन कक्ष नहीं होना चाहिए।
🌹 दक्षिण दिशा
south direction
इस दिशा के स्वामी ग्रह मंगल और देवता यम हैं। दक्षिण दिशा से वास्तु दोष दूर करने के लिए नियमित ‘ऊँ अं अंगारकाय नमः’ मंत्र का 108 बार जप करना चाहिए। यह मंत्र मंगल के कुप्रभाव को भी दूर कर देता है।
✍🏻 ‘ऊँ यमाय नमः’ मंत्र से भी इस दिशा का दोष समाप्त हो जाता है।
✍🏻 दक्षिण की दिशा पूर्वजों की दिशा भी कहीं जाते हैं यदि किसी भी घर में पूर्वजों का उचित मान-सम्मान किया जाता है उन्हें हर शुभ कार्य से पहले याद किया जाता है तो वहां पर इस दिशा से संबंधित बहुत से दोष समाप्त हो जाते हैं।
🌹 नैऋत्य दिशा
South-west दक्षिण पश्चिम
दक्षिण और पश्चिम दिशा के कोणों से बनने वाली दिशा जिसे नेऋत्य दिशा भी कहा जाता है।
इस दिशा के स्वामी राहु ग्रह हैं। घर में यह दिशा दोषपूर्ण हो और कुण्डली में राहु अशुभ बैठा हो तो राहु की दशा व्यक्ति के लिए काफी कष्टकारी हो जाती है। इस दोष को दूर करने के लिए राहु मंत्र ‘ऊँ रां राहवे नमः’ मंत्र का जप करें। इससे वास्तु दोष एवं राहु का उपचार भी उपचार हो जाता है।
✍🏻इस दिशा पर क्योंकि राहु देव का अधिकार है तो इस दिशा की सफाई बहुत अच्छे से रखें, कोई भी कूड़ा- करकट ,फालतू की टूटी-फूटी चीज यहां बिल्कुल ना रखें और सबसे खास यदि संभव हो तो चंदन की अगरबत्तियां इस दिशा में लगाएं।
🌹 पश्चिम दिशा
यह शनि की दिशा है। इस दिशा के देवता वरूण देव हैं। इस दिशा में किचन कभी भी नहीं बनाना चाहिए। इस दिशा में वास्तु दोष होने पर शनि मंत्र ‘ऊँ शं शनैश्चराय नमः’ का नियमित जप करें। यह मंत्र शनि के कुप्रभाव को भी दूर कर देता है।
🌹 वायव्य दिशा
North West -उत्तर पश्चिम
उत्तर और पश्चिम से बनने वाली दिशा, जिसे हिंदी में वायव्य दिशा कहते हैंi
चन्द्रमा इस दिशा के स्वामी ग्रह हैं। यह दिशा दोषपूर्ण होने पर मन चंचल रहता है। घर में रहने वाले लोग सर्दी जुकाम एवं छाती से संबंधित रोग से परेशान होते हैं। इस दिशा के दोष को दूर करने के लिए चन्द्र मंत्र ‘ऊँ चन्द्रमसे नमः’ का जप लाभकारी होता है।
🌹 उत्तर दिशा
north direction
यह दिशा के देवता धन के स्वामी कुबेर हैं। यह दिशा बुध ग्रह के प्रभाव में आता है। इस दिशा के दूषित होने पर माता एवं घर में रहने वाली स्त्रियों को कष्ट होता है। आर्थिक कठिनाईयों का भी सामना करना होता है। इस दिशा को वास्तु दोष से मुक्त करने के लिए ‘ऊँ बुधाय नमः या ‘ऊँ कुबेराय नमः’ मंत्र का जप करें। आर्थिक समस्याओं में कुबेर मंत्र का जप अधिक लाभकारी होता है।
✍🏻यदि घर में आपको वास्तु दोष से संबंधित कुछ समस्याएं आ रही हैं और कोई उपाय समझ नहीं आ रहा तो भी सबसे आसान अपने पूरे घर को साफ रखें ,सुगंधित रखें ,सूरज की रोशनी का घर में आने का कोई रास्ता जरूर हो और अपने घर के ब्रह्मस्थान यानी कि घर के बीचो बीच की जगह पर खाली रखें ,,तो आप बहुत सी समस्याओं का समाधान कर लेंगे। और एक खास बात ध्यान रखनी है कि आपकी बेकार फालतू पड़ी हुई चीज किसी के काम की चीज बन सकती है तो कृपया उन चीजों को जरूरतमंद को दे देवे। इससे आप अपने घर के वास्तु को भी ठीक कर लेंगे और खुद भी अच्छा महसूस करेंगे।
आपके घर की किसी भी दिशा में वास्तु दोष हो तो इन मत्रों के जाप से सभी बधाएं छूमंतर हो जाएगी।
असल में यह समस्त दुनिया जो भी हम आंखों से देख सकते हैं वह सभी ऊर्जा का स्पंदन मात्र है , बस वास्तु भी इसी ऊर्जा के मेल को ध्यान में रखकर बनाया गया है, या कह सकते हैं कि आधुनिक रूप में यह एक तरह की सिविल इंजीनियरिंग है ।या यह पौराणिक समय का सटीक विज्ञान है जिसमें दिशाओं की ऊर्जा के हिसाब से घर में रहने और सामान रखने का सही तरीका इस्तेमाल किया जाता था।
इस आर्टिकल के माध्यम से आपको कुछ ऐसे वास्तु शास्त्र के मंत्र बताने जा रही हूं जिनको विधि विधान करने से आपके घर का वास्तु दोष समाप्त हो जाएगा।