कन्या पूजन , मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा का समापन ( या संपूर्ण करने के वक्त) हमें किस प्रकार से कन्या पूजन करना चाहिए और किस प्रकार उद्यापन करना चाहिए। समझेंगे इस आर्टिकल में..
नवरात्रि उद्यापन एवं कन्या पूजन विधिके लिए नवरात्रि के अंतिम दिन यानी की आखिरी नवरात्रि के दिन ,सभी भक्तजनों को मां के मत्रों के उच्चारण के साथ-साथ सही और विधिवत तरीके से मां का पूजन और हवन करके उद्यापन करना चाहिए। घरों में कलश की स्थापना कर विधान के साथ व्रत धर्म का पालन करने वालों को नौ कुंवारी कन्याओं को भोजन ग्रहण करवाकर और द्रव्य, वस्त्र प्रदान करने के बाद पारण करना चाहिए ।
देवी मंदिरों में भी नवरात्र के दौरान चलते रहे श्रीदुर्गा सप्तशती के पाठ का समापन किया जाता हें। कई स्थानों पर भंडारे का आयोजन भी किया जाता है।
इस दिन कुछ श्रद्धालु मंदिर परिसर में मंत्रोच्चार के साथ हवन कर और नौ कुंवारी कन्याओं को भोजन ग्रहण करवाते हें ।
नवरात्र व्रत धारण करने वालों के लिए यह विधान है कि नौ देवियों स्वरूप नौ कन्याओं को भोजन ग्रहण कराने और दान-दक्षिणा के बाद ही व्रत पूरा माना जाता है।
नौ दिनों तक नवरात्र व्रत धारण करने वाले श्रद्धालुओं ने हवन-पूजन के बाद नौ कन्यायों को भोजन ग्रहण कराया और खुद पारण किया।
उद्यापन के बाद एक बालक और अपने गुरूजन को भी भोजन कराके वस्त्र, दक्षिणा देकर अपने सुखमय जीवन का आशीर्वाद प्राप्त करें।
व्रतधारियों को कुंवारी कन्याओं को भोजन करवाकर अपने व्रत का उद्यापन संपन्न करना चाहिए लोग कुंवारी कन्याओं को भोजन और वस्त्र अर्पित करके अपने व्रत का उद्यापन कर सकते हैं।
🌹कैसे करें कन्या पूजन।
व्रत के करने के बाद अष्टमी या नवमी किसी भी दिन अपनी घर की परंपराओं के आधार पर आप कन्या पूजन कर सकते हैं, आप जिस भी दिन करें बस श्रद्धापूर्वक कन्या पूजन करना चाहिये।
🌹सर्वप्रथम माँ जगदम्बा के सभी नौ स्वरूपों का स्मरण करते हुए घर में प्रवेश करते ही कन्याओं के पाँव धोएं।
🌹इसके बाद उन्हें उचित आसन पर बैठाकर उनके हाथ में मौली बांधे और माथे पर बिंदी लगाएं।
🌹उनकी थाली में हलवा-पूरी और चने परोसे।
🌹अब अपनी पूजा की थाली जिसमें दो पूरी और हलवा-चने रखे हुए हैं, के चारों ओर हलवा और चना भी रखें। बीच में आटे से बने एक दीपक को शुद्ध घी से जलाएं।
🌹कन्या पूजन के बाद सभी कन्याओं को अपनी थाली में से यही प्रसाद खाने को दें।
🌹अब कन्याओं को उचित उपहार तथा कुछ राशि भी भेंट में दें।
‘या देवी सर्व भूतेषु शक्तिरूपेण संस्थिता नमस्तस्यै-नमस्तस्यै-नमस्तस्यै नमो नम:’ 11 बार जप कर जय माता दी कहकर उनके चरण छुएं और उनके प्रस्थान के बाद स्वयं प्रसाद खाने से पहले पूरे घर में खेत्री के पास रखे कलश का जल सारे घर में बरसाएँ।
🌹🙏जय माता दी 🙏🌹
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